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भारत सरकार को इंदिरा गाँधी से सीखना और चीन से समझना चाहिए वरना वो दिन दूर नहीं…

ऐसा कहा जा रहा है कि जल्दी ही भारत ग्रोथ के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा, जोकि बड़ी अच्छी बात है, लेकिन एक चीज और हैं, जिसमे हम चीन से आगे होने वाले हैं।और वो है, बढ़ती जनसंख्या।

मुझे नहीं लगता हैं कि यह बात भी ख़ुशी मनाने वाली हैं। बल्कि यह एक चिंता की बात होनी चाहिये। अभी ही पूरी आबादी की भूख पूरी नही हो पाती हैं, जाने आगे क्या होगा?

अगर चीन इस मामले में अपने को नंबर दो पर ला रहा है और हमे नम्बर एक पर तो मुझे लगता हैं, ख़ुशी की बात चीन के लिये है ना कि भारत के लिये।

बढ़ती आबादी निश्चय ही बहुत बड़ी समस्या होने वाली है। जितने भी विकसित देश है जैसे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड आदि, सभी की बहुत ही कम आबादी है। ऐसा होने से संसाधन ज्यादा होते है और जनसंख्या कम, फलस्वरूप लोगो को बेहतर जिंदगी मिलती हैं और यही अमेरिका और दूसरे विकसित देशों की तरक्की की वजह है।

जितने भी देश या राज्य जहाँ आबादी ज्यादा है वहा अशिक्षा ज्यादा है, रूढ़िवादी सोच अधिक है, लड़कियों के प्रति सोच दयनीय है और गरीबी ज्यादा है। यहाँ भी वही वजह है, चूंकि आबादी अधिक और संसाधन सीमित है तो प्रति लोग संसाधन बहुत ही कम आता हैं। एक बात और भी वो यह है कि जितने भी गरीब देश है, वहा संसाधन बहुत होते हैं, लेकिन उनका यूज़ बहुत ही कम हो पाता है, इसके विपरीत विकसित देश कम संसाधन का भी सही यूज़ कर पाते है।

बड़े दुःख की बात है कि अभी भी हम लोग इस समस्या को गंभीरता से नही ले पा रहे हैं। इसके पीछे कारण कुछ स्वाभाविक और कुछ राजनीतिक भी हैं।

एक बार स्व0 इंदिरा गाँधी ने कोशिश भी की थी, लेकिन उसे जबरदस्ती नसबंदी का नाम दिया गया, और वो चुनाव भी हार गई थी। उसके बाद फिर राजनीतिक पार्टियों ने कोशिश ही छोड़ दी। इंदिरा जी ने कोशिश तो किया।सरकार को पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी और चीन के इस निति से अवश्य सीख लेने की जरुरत है |

Forced sterilization during Emergency: Image Courtesy- mythicalindia

मुझे लगता हैं आजतक उनकी जैसी मज़बूत महिला भारत मे कम से कम अभी तक नही हुआ है और प्रधानमन्त्री भी।

चीन बहुत तेजी से अपनी बढ़ती जनसंख्या पर काबू पा रहा है, जिसके लिये उसने कुछ कड़े फैसले भी लिये जैसे एक से अधिक जिन परिवार के बच्चे होंगे उनके लिये सरकारी सुविधा बन्द कर दी जायेगी आदि।कम से कम भारत मे ऐसी हिम्मत नहीं है कि ऐसे फैसले ले सके।

क्योकि यहाँ पर हर फैसला से पहले यह देखा जाता हैं कि कही ऐसे फैसले से उनकी वोट बैंक पर असर ना पड़े, भले ही यह अहम फैसला देश हित के लिये ही क्यों ना हो।

यही हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है नही तो हम भी आज नम्बर एक पर होते।

लेकिन कुछ भी हो अब मजबूरन ही सही बढ़ती जनसंख्या को रोकना ही होगा। नही तो स्थिति बहुत ही भयानक हो जायेंगी। क्योकि लोगो की जरूरत पूरी करना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा | फलस्वरूप अमीरी और गरीबी में और भी फासले बढ़ जाएंगे।

अशिक्षा और भी बढ़ेगी, औरतो की स्थिति और भी नरक बनेगी।और जातिवाद और धार्मिक उन्माद और भी बढ़ेगा।

जरूरत है देश की सरकार को एक सही प्लांनिंग बनाने की और इसमे पूरे देश के नागरिकों को तैयार रहना चाहिये। क्योंकि यह एक ऐसी समस्या है जो सबके जीवन को प्रभावित करेगा।

आइये मिलकर इस समस्या को सुलझाये।आप किसी भी जाति के हो, किसी भी धर्म के हो, किसी भी पार्टी के हो, हम सभी को अपने मतभेद भूलकर इस राष्ट्रीय समस्या को सॉल्व करने में पूरी मदद करनी चाहिये।