यूँ तो भारत में चुनाव आज से नहीं हो रहे हैं किन्तु पिछले कुछ वर्षों से चुनाव प्रचार में प्रधान मंत्री से लेके मुख्यमंत्री तक जिस भाषाशैली का प्रयोग कर रहे हैं वो कही से भी आदर्श लोकतांत्रिक रवैया नही लग रहा है| बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश चुनाव के तीसरे चरण के बाद जिस तरह कि अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वो बरबस ही कहने पर विवश कर रहा है कि क्या यही हमारे आदर्शवादी नेता हैं जिन्हें असल में बोलने कि तमीज भी नही है|
पिछले वर्ष भारत की राजधानी दिल्ली में कुछ चंद छात्रों ने नारे लगाए कि “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जिससे हर एक भारतीय को बड़ी ही ठेस पहुची| गौरतलब है कि आज तक उन छात्रों को पकड़ा नहीं जा सका जबकि एक विशेष मीडिया चैनल के फ़र्ज़ी डॉक्टरटेड विडियो बना कर जानबूझ कर गलत लेबल लगा कर उस कार्यक्रम के संयोजक को गिरफ्तार किया गया|
यह कहना गलत नही होगा कि अगर भोपाल में पकडे जाने वाला बजरंग दल का कार्यकर्ता खुद को पाकिस्तानी बताता है और आरएसएस के कार्यकर्ता जो कि खुद वहां से भारतीय जनता पार्टी के मंत्री के साथ फोटो खीचते दिखते हैं और बाद में खुद को आई एस आई का एजेंट बताते हैं और कहते हैं कि उनको ISI के द्वारा ही पैसा दिया जाता है तो क्या हम सच में अंधे तो नही हैं ? क्यों नही देख पाते हैं दोनों पहलु के पुरे सच को ?
नीचे विडियो में देखिये कुमार विश्वास को क्यों प्रूफ देना पड़ा कि आरएसएस असल में आईएसआई एजेंट के रूप में पकिस्तान के लिए काम करता है
https://www.youtube.com/watch?v=cRQYtN5aRXw