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ये भाग्य नहीं है, कर्म भी मत कहना क्योकि, मजबूरी से ज्यादा तुम कुछ नहीं कर रहे

कल किसने देखा है यार ?

छोड़ो … क्यों नही देखा है या फिर देखना नही चाहते तुम ? कभी प्यास से मरते हुए किसी पक्षी को कभी घायल हुए जानवर को कभी तड़पते हुए किसी इन्सान को | क्या किया था उसने जो वो तुमसे बदतर है ?और कुछ नही तो लजीज व्यंजनों के नाम पर तुमने ही किसी की हत्या तो करवाई ही होगी |

यह बात इतनी सरल नहीं है| ये मत कहो कल किसने देखा है कल तुमने देखा है और वर्तमान में ही देखा है | तुम्हारे लिए हर चीज इतनी आसान नही हो सकती|

कभी विचार करो कि तुम इन सबके स्थान पर नही हो तो क्यों ? कुछ विशेष किया है कुछ नया किया है ? सच ये है की जो भी किया है तुमने ही किया है किसी और ने नहीं | तभी तो तुम्हे इन्हें देखने और समझने का अधिकार है | एक बच्चा प्रधानमन्त्री के यहां जन्मा तो एक भिखारी के यहां ?

क्यों एक को मंजिल के लिए प्रयत्न करना पड़ा तो एक बनी बनायीं जागीर प्राप्त कर लिया ? किसी ने पैदल चल कर परीक्षा दी तो कोई लक्जरी गाड़ी पे आकर | कोई भूखे पेट रहता है तो कोई रोज रेस्टोरेंट जाता है |

ये भाग्य नहीं है | कर्म भी मत कहना क्योकि, तुम जो करते हो वो करना तुम्हारी मजबूरी है | मजबूरी से ज्यादा तुम कुछ नहीं कर रहे हो | दिल से पूछो क्या वास्तव में तुम्हारी मूलभूत आवश्यकता को पूरी करने कि मजबूरी से ऊपर उठ कर तुमने आज तक कुछ किया है ? फर्क क्या है तुम्हारे और उन जानवरों में जिनका जिक्र अभी ऊपर किया मैंने , जरा सोचो यदि नहीं सोचे हो तो |

इसलिए कहती हूँ वर्तमान को देखो ..

एक सही वर्तमान तुम्हारे ही सामने है …..जब देख पाना तो परिवर्तन लाने का प्रयास नही होगा अपितु तुम जानोगे कि वो तुम्हारा ही वर्तमान होगा ..कर्म तब करना |

एक और बेहतर भविष्य के लिए ….और उस समय तुम अवश्य जान लोगे कि यही मेरा वर्तमान है ….जो अभी है.. तब करना कर्म किसी और के वेर्तमान को समझाने के लिए |