
सुबह सुबह रामनाम गुरु नीम का दातून हिलाते …
का हो तूफानी चाचा , अरे पतोहिया त बबाल मचाय देहलस … तोहू कहले न माने ल्या ? हमेशा पतोही के पीछे पड़ल रहेला। सबेरवे मुहे में डाल के हिलावत हवा, बोले से पाहिले सोचेला न कि का कहत हई ..
तूफानी चचा चापे ,,
रामनाम गुरु माहौल ख़राब होता देख,,, देखा चाचा तू दूसर मतलब निकाल लेहला , हम कहल चाहत रहली कि, आज कल ढेर पतोही से झगड़ा रगड़ा मत फाना नहीं त मिसिर जी क हाल होई ….तूफानी चचा क पारा गरम,,,
इ कौने मिसिर जी के कुद्व्ले सबेरे सबेरे भाय ?
समाचार वोमाचार पढ़ल करा मिसिर जी क पतोहिया, डिम्पलवा बम्बई से बम्बैया अंदाज में आयल बाट़े …..ससुरा सोचलस की इह दुसर बियाह रचे के आनंद लेब के खोज पायी, लेकिन आज कल क लईकी, बाप रे बाप ! , रामनाम गुरु चालू,,,
तूफानी चचा भी तार से जुड़ गए ,’ हा यार हमहू कत्तो सुनाली का मामला हाउ’
अब रामनाम गुरु का असाल पर्बचन शुरू हुआ,
कहे कि इ राते रात हीरोईन बन गिल चच| मेहरारुन क त हर जगहे समर्थक मिल जाने, इ कुल गौवन क एके हाल हा
तूफानी चचा टपके, ‘अब तू केकर बुराई कायल चाहत हवा ?’
बुराई नहीं निचोड़ जवन समझली वू दू ठे बा , ऐसन करे में अब सबकर फ़ाटी , दुसर बात एहिमे भीडिया आपन पुरनकी दुश्मनी भी निकल लेले।
कुछो हो पतोहिया बबाल मचवलस न ? …एक थे नजीर बनल न ? ….अबहीं देखा अब केतना सुतल डिम्पल सडकी प जियाब मोहल करिहे,,,तू सही कहत हवे गुरुआ मेहरारुन के चक्कर में न पड़े तबे ठीक।।।।।।