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Taaza Tadka

ईवीएम घोटाले पर विपक्षी दल मिले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से , निष्पक्ष ईवीएम जांच की मांग की

विधानसभा चुनाव खासकर उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में हुई धांधली से लोगों को बचाने के लिए राष्ट्रपति से गुहार की है , राष्ट्रपति जल्द ही अपना फैसला

देश में ईवीएम घोटाले की तस्वीर बड़ी ही तेजी से आजकल वायरल होती जा रही है | विपक्ष के साथ गहमागहमी में खुद चुनाव आयोग विपक्ष की सभी बातों को बेबुनियाद जाहिर करता दिख रहा है|

हाल ही में मध्यप्रदेश के एक वीडियो जिसमें खुद निर्वाचन आयोग की प्रमुख सेलिना सिंह की मौजुदगी में ईवीएम की गड़बड़ी सामने आने पर सेलिना ने कोई एक्शन लेने के बजाय खुद मीडिया वालों को ये न्यूज़ ना दिखाने की धमकी तक से दे डाली थी |

खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने तो चुनाव आयोग को इतना तक से चैलेंज कर डाला था कि, यदि चुनाव आयोग ने उनको ७२ घंटों के लिए बी ईवीएम मशीन दिया तो वो इन ७२ घंटों के अंदर ये प्रूफ कर देंगे कि ईवीएम में छेड़छाड़ हो सकती है |

संसद में विपक्ष ईवीएम घोटाले पर आये दिन हंगामे करता रह रहा है और आज दोपहर में खुल १५ पार्टियों ने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाक़ात की |

प्रतिनिधिमंडल ने ईवीएम में गड़बड़ी सहित कई अन्य मसलों जैसे बढ़ती मंहगाई , गौरक्षा के दौरान गुजरात और राजस्थान में हिंसा आदि पर वर्तमान सरकार को कटघरे में रखने की कोशिश की है |

बता दें कि, मुलाक़ात के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने पत्रकारों को बताया कि , राष्टपति प्रणब मुखर्जी के सामने ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया गया कि किस तरह आखिर इस मुद्दे ने लोगों का विश्वास चुनाव आयोग से डगमगा दिया है |

चुनाव वापस से होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि , हमने विधानसभा चुनाव फिर से होने खासकर उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में हुई धांधली से लोगों को बचाने के लिए राष्टपति से गुहार की है , राष्ट्रपति जल्द ही अपना फैसला सुनाएंगे | उन्होंने बताया कि, हमनें ईवीएम की जांच जल्द से जल्द करने का आदेश देने और यदि गड़बड़ी पायी जाए तो उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव फिर से होने कि मांग की है |

आज़ाद ने कहा कि, हमने उन्हें बताया कि प्रमुख विधेयकों को वित्त विधेयक के रूप में पास करवाकर राज्य सभा की संवैधानिक स्थिति पर सवाल उठाया गया|

बता दें कि सबसे पहले ये मुद्दा बसपा सुप्रीमो मायावती ने उठाया था , जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में अभूतपूर्व कामयाब हुई थी | उसके बाद उनका समर्थन अखिलेश यादव और अरविन्द केजरीवाल ने भी किया था कि यदि ईवीएम में कोई दिक्कत नहीं है तो फिर जांच से क्यों दर रहा है चुनाव आयोग |

लेकिन इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब मध्यप्रदेश के भिंड का वीडियो सामने आया | जिसमें ये साफ़ देखा गया कि किसी भी पार्टी को वोट देने पर भी पर्ची सिर्फ बीजेपी की निकल रही है | हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर सफाई में कहा कि, ये तकनिकी गड़बड़ी की वजह से हुआ है और इस बाबत कई बड़े अफसरों पर कारवाही भी किया गया|

बहरहाल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चाहे जो भी फैसला लें लेकिन ईवीएम पर उठे सवाल ने वास्तव में आम जनता को चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का मौक़ा अवश्य दिया है जो शायद लाज़मी भी है |

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क्या चुनाव आयोग अरविन्द केजरीवाल के EVM चैलेंज को एक्सेप्ट करने का जिगरा रखता है ?