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Taaza Tadka

चुनाव मुख्यमंत्री का तो जनता प्रधानमंत्री चेहरे पर वोट क्यों दे?

भले ही बीजेपी मोदी के चेहरे को सामने रखे पर जनता जानती है कि मोदी खुद तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन नहीं होंगे तो प्रदेश भला मोदी को देखकर बीजेपी को वोट क्यों दे?

अचानक से जब २०१४ के लोकसभा चुनाव दिन याद आते हैं तो सबसे पहले हमारे प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी का चेहरा सामने आता है. यह कहना गलत नहीं होगा की २०१४ की लोक सभा चुनाव में मोदी के चेहरे को बीजेपी का चेहरा समझ कर कई ऐसे लोगों ने भी बीजेपी को वोट दिया जिनका लगाव या भरोसा बीजेपी पर तनिक भी नहीं था. अगर इस बात पर गौर करें तो समझने वाली बात यह है की जनता को ये लगा की मोदी ही देश के प्रधानमंत्री पद के सबसे काबिल दावेदार हैं और शायद इसीलिए लोगों का बीजेपी को इस कदर मोदी जी की वजह से वोट देना और बीजेपी को लोकसभा में बहुमत दिलाना बड़ा ही साधारण लगता है. यह राजनीति में आम बात है की जब ऊपर के लोग अच्छे होंगे तो नीचे की राजनीति भी बेहतर ही होगी.

आज जब उत्तर प्रदेश का असेंबली इलेक्शन सर पर है और सारी पार्टियां जनता को अलग अलग तरीके से लुभाने में लगी हुयी है, राज्य में मुख्यमंत्री बड़ी शालीनता से इस बात पर पुर जोर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले लगभग ५ सालों में उन्होंने प्रदेश के लिए क्या क्या किया. अच्छी बात ये है की प्रदेश की जनता भी इस बात को समझने लगी है की प्रदेश के लिए अखिलेश से बेहतर चेहरा और कोई हो ही नहीं सकता. भले ही बीजेपी मोदी के चेहरे को सामने रखे पर जनता को तो ये पता है की मोदी खुद तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन नहीं होंगे तो फिर प्रदेश भला मोदी को देखकर बीजेपी को वोट क्यों दें?

हाल में एक सर्वे में किसी व्यक्ति ने जो की सूत्रों के मुताबिक बीजेपी से जुड़े हुए हैं तंज कसते हुए यहाँ तक कह दिया की “अरे भइया, जब मोदी जी इ प्रदेश में मुख्यमंत्री बनिहें तबही हमहन के मोदी जी के वोट देब नाही ता काहें लिए देंगे जी ? आखिर अखिलेश भइया को वोट न देने का कउनो वजह त होये के चाही. कउनो मोदी जी मुख्यमंत्री बनिहीं जो हम ओनके चेहरे पे वोट देब ?”

यानी साफ़ है खुद पार्टी के सपोर्ट करने वालों का भी कहना है कि जब मोदी प्रदेश में मुख्यमंत्री बनेंगे तभी हम बीजेपी को वोट देंगे वरना अखिलेश को वोट न देने की कोई भी और वजह नहीं बनती. इस बात से तो यही पता चलता है की आज जो लोग अखिलेश के साथ हैं वो भले ही किसी और पार्टी से जुड़े हों पर जब प्रदेश में सही नेतृत्व की बात होती है और भविष्य को देखने की कोशिश की जाती है तो लोग पार्टी से आगे बढ़कर किसी व्यक्ति विशेष को ज्यादा महत्व देते हैं. शायद यही कारण है की समाजवादी पार्टी के इतने अलग अलग तरीके की अनचाहे प्रकरण के बाद भी लोग अखिलेश यादव से जुड़े हुए हैं.

वैसे इस बात का अंदाजा लगाना बड़ा ही मुश्किल होगा कि उत्तर प्रदेश की आगामी चुनाव में जीत किसकी होगी पर एक बात तो तय है की पूरी लड़ाई ब्रांड मोदी बनाम ब्रांड अखिलेश की होने वाली है.

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Preeti Mishra

Preeti Mishra

Content Writer | Foodie | Motivator | Political Analyst