इधर कुछ वर्षो से सुन रहा हूँ कि वाराणसी शहर का लगातार विकास हो रहा है, कभी यहाँ के संसद के द्वारा , कभी राज्य सरकार द्वारा तो कभी केंद्र सरकार और बाकी प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों द्वारा |
हालांकि कितना विकास हुआ यह तो नहीं पता, हाँ इस शहर का निवासी होने के नाते ये अवश्य जानता हूँ कि यहाँ के लोगों का बुरा हाल है। ना केवल उनके शरीर का बल्कि उनके बिज़नेस का भी।
इतना काम एक साथ हो रहा है कि नही लग रहा है कि कब यह काम पूरा भी होगा।
चारो तरफ धूल, गड्ढ़े, टूटी हुई सड़के यही पहचान बन गयी है अपने बनारस की। विकास का तो नहीं पता हा धीमा जहर जरूर दिया जा रहा हैं हम सब को। वो भी विकास के नाम पर। कभी कोई सड़क सही हो ही नहीं पाती हैं, कोई बना के जाता हैं तो कोई उसे फिर से तोड़ कर चला जाता हैं। कभी नगर निगम के नाम पर तो कभी सीवर के नाम पर तो कभी जल निगम के नाम पर तो कभी बिजली के नाम पर सड़को का बुरा हाल किया जाता हैं।
इनसे कोई भी यह पूछने वाला नहीं है कि जनता की इतनी मेहनत की कमाई से बनी सड़को को आप बार बार क्यो तोड़ते हो, क्यो जनता की पैसे को बर्बाद करते हो? यार बार बार तोड़ना ही है तो बनाते ही क्यों है? अच्छा किसी प्रकार अगर भगवान भरोसे सड़क बन भी गया तो ज्यादा खुश ना होइये, वो अपने आप ही बैठ जाएगी, धस जाएगी।
और
फिर अगली सरकार आएगी और पुरानी सरकार के काम में हो रही मनमानी का पैमाना खोलने बैठ जायेगी | ३ साल बीत जाएंगे और फिर दूसरी सरकार | ले दे के आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहेगा | और कही अगर सरकार न बदली तो फिर जनाब नगर निगम, लोकल नेता और भी बहुत कुछ है इनके पास गिनाने के लिए |
इधर कुछ दिनों से बिजली अंडर ग्राउंड का काम चल रहा है। अंडर ग्राउंड के नाम पर इतनी मनमानी चल रही है कि कोई कहा तक झेले। शहर की ट्रैफिक पहले ही बदहाल हैं, रही सही कसर खराब सड़को ने कर दिया है। इस तरफ़ पूरा शहर हमेशा जाम ही रहता है।
अब तो शहर के लोग भी समझ गये है कि कुछ होना मुश्किल है। बरसात के पहले ही सड़के धस जा रही हैं जैसे अभी कुछ दिन पहले ही रथयात्रा सड़क बैठ गयी थी। तो जब अच्छी बरसात होगी तो क्या होगा?
इस बात की चिंता किसी भी नेता या सरकार को नही है। क्योंकि सड़को पर हम लोग चलते हैं ये नही। और यदि किसी एक दिन ये नेता लोग पहुंच जाएँ किसी रास्ते पर चलने के लिए तो रातोरात उस सड़क की हालत सही हो जाती है , गमकते हुए गमले और सफ़ेद चुने से उस रास्ते का सौंदर्यकरण कुछ ऐसा होता है जैसे मानों स्वप्न लोक में आ गए|
कही सड़क बन रही हैं कही ओवरब्रिज तो कहीं गहरे सीवर का काम हो रहा है। अभी शायद गैस पाइपलाइन का भी काम शुरू होने वाला है। मतलब अभी कई साल तक जनता इसी तरह रोने वाली हैं। जबकि सरकार को खुद भी यह नही पता है कि विकास का कार्य कब पूरा होगा?
हालांकि,द है कि चुनाव आने से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही बनारस का विशेष अनुरोध है कि लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर ही विकास कार्य करे। क्योकि यह विकास भी तो लोगो के लिए ही किया जा रहा है हेलीकॉप्टर से उड़ते हुए २ मिनट का दर्शन देने वालों के लिए नहीं |