आजकल एक बड़ी समस्या सबके सामने मुँह बाये खड़ी है, और वो हैं पानीकी समस्या।पुरा विश्व ही इस समय इस समस्या से जूझ रहा है, और जो नहीं झूझ रहा है, वो जल्दी ही इस समस्या से सामना करेगा।यह एक ऐसी समस्या है, जो बहुत बड़ी समस्या बनने वाली हैं, क्योंकि पेट्रोलियम पदार्थ समाप्त हो भी जायेगा तो चलेगा, लेकिन पानी खत्म हो जायेगा तो सम्पूर्ण जीवन ही खतरे में पड़ जायेगा।क्योंकि इसका तो अभी तक कोई ऑप्शन भी इजाद नही हुआ है।
और हमलोग इस कीमती द्रव्य का कितना मिसयूज कर रहे हैं, मेरे ख्याल से यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।अकेले बनारस शहर की ही बात करें तो यहाँ पर सबको शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी बर्बादी आपको हर घर मे दिख जायेगी। मेरे,आपके, पड़ोसी के और जो अभी इस आर्टिकल को पढ़ रहा है, उसके भी घर मे।
कहने का मतलब यह है कि हमलोग अभी भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे है। कितनी विडंबना है कि कुछ लोग एक बाल्टी पानी के लिये मीलो का चक्कर लगाते हैं, एक लीटर पानी के लिये20 रुपये पे करते है, तो कही इस अमूल्य चीज को कार धोने में बर्बाद किया जाता हैं, तो कही जानवरो को नहलाने में।
सरकार भी इस कीमती पदार्थ को बचाने में उदासीन हैं। तभी तो लोग अपने घरों में समरसेबल लगाकर पानी का दोहन करने में लगे हैं। जिन लोगो के यहाँ पानी की उबलब्धता आसानी से है, वही पर पानी की मिसयूज़ ज्यादा है।वही कार से लेकर साइकिल तक पानी से धो डालते है। नही तो मैंने उनलोगों को भी देखा जिनके यहाँ पानी नही आता है या बहुत मुश्किल से आता है, उनको मैंने गिलास और कटोरी तक में पानी को संग्रह करते हुए देखा है।
गंगा में जानवरों को नहलाना, कपड़े धोना यह भी पानी को नष्ट करना ही है। मुम्बई वालो से पूछिये जिनको पीने के लिये अलग और दूसरे कामों के लिये अलग पानी संग्रह करना पड़ता हैं।और एक सीमित समय के अंदर ही पानी भी मिलता हैं, उसके बाद फिर अगले दिन का इंतजार कीजिये।
अगर लोग यह कह रहे कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिये होगा, तो यह कही से गलत भी नही है। मत भूलिए की हमारी पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा पानी से ही भरा पड़ा है, लेकिन उसमें पीने योग्य पानी बहुत ही कम और सीमित मात्रा में ही है। कृपया करके पानी को बर्बाद नही कीजिये। नही तो हम अपने आने वाले जेनरेशन को पीने के लिये क्या देंगे?
जरूरत है सरकार और लोगो को मिलकर काम करने की। क्योंकि यह किसी एक की ज़िमेदारी नहीं है।
जरूरत है फिर से तालाबो, कुंओ, पोखरों को जिंदा करने की।क्योंकि आधे से अधिक तालाबो, पोखरों को और कुंओ को पाट कर उनका अधिग्रहण कर लिया गया है, और जो किसी तरह से जिंदा भी है तो उनकी हालत दयनीय है।सरकारी रख रखाव के अभाव में यह सभी भी मरणासन हालात में पड़ी हुई हैं।
जरूरत है बारिश की पानी को फिर से संचित करने की। मत भूलिये की बारिश की पानी ही पानी की जमीन की अंदर की लेवल को बढ़ाता है। बारिश का पानी ही कुंओ, तालाबो भर देता है जिससे फिर लोग सालो प्रयोग लेते है।