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यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के १०० दिन – एक विश्लेषण

2017 के विधानसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत ने बीजेपी को उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का मौका दे दिया। जीत से उत्साहित बीजेपी ने अपने फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को सी एम पद के लिए प्रोजेक्ट कर हर किसी को योगी-मोदी की जुगलबंदी से उतर प्रदेश में विकास की बयार चलने की बात कही।

यह एक गौरतलब हैं कि मुख्यमंत्री योगी की क्षवि को लेकर जो भी बातें रही उसके विपरीत जाकर उन्होंने काम किया हो ऐसा नही लगता। फिर भी यह सरकार उन तमाम वादों को पूरा काने में लगी हुई हैं जोकि चुनाव पूर्व जनता से किये गए थे। बहरहाल 100 दिन के काम के विश्लेषण से देखा जाय तो सरकार, सड़क के गड्ढे भरने, बिजली देने, किसानों के कर्जमाफी, अवैध बुचड़खानों पर नियंत्रण, लॉ एंड ऑर्डर के मसले पर कुछ पूर्ववर्ती सरकारो से बीस नजर आ रही है।

योगी सरकार का एन्टी रोमियो स्क्वायड और अवैध बूचड़खाने पर रोक ने जनता सहित विपक्ष को आलोचना करने का मौका दिया। पुलिस प्रशासन में सरकार ने कई विभागों का बदलाव किए तो उन पर मायावती नकल का आरोप भी लगा।यदि बिजली, पानी, किसानों की कर्ज माफी, शिक्षा, स्वास्थ्य के मुद्दे पर योगी सरकार जिला मुख्यालयो पर 24 घण्टे, तहसीलों में 20 घण्टे, गावों 18 घण्टे के हिसाब से बिजली देने का वादा पूरा कर रही है, इसके पीछे भले कोई कारण हो जनता को जो चाहिए वो तो मिल रहा|

योगी सरकार ने किसान कर्ज माफी का अपना पहला वादा निभाने का प्रयास भले गोपनीय तरीके से किया हैं पर अन्य आकड़ो के हिसाब से देखा जाय तो 36000 हजार करोड़ का कर्ज माफ कर किसानों को बहुत बड़ी राहत दिया है। जहाँ एक ओर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के किसान बेहाल है वही उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम से कुछ राहत जरूर मिलेगी। योगी आदित्यनाथ जी ने अपने कार्यकर्ताओं से शासन तंत्र, पुलिस, सरकारी विभागो, ठेको, अन्य सरकारी मशीनरी से दूर रहने का संदेश देकर साफ कर दिया हैं कि उन्हें सुशासन में आपका सहयोग चाहिए|

लेकिन हालिया  कई घटनाएं हैं, जिसमें बीजेपी के सांसद, बिधायक ही चुनौती बन रहे है जिससे पुलिस की कार्यवाही बाधित हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोमती रिवरफ्रंट पर जांच बिठाने को सियासी स्टंट और  योगी सरकार को जनता का भरोसा तोड़ने का आरोप भी लगाया। फ़िलहाल १०० दिन के काम-काज से किसी सरकार की विफलता नहीं कह सकते, लेकिन जो काम चल रहे, प्रयास कर रही है सरकार देखना होगा कि वे सही दिशा में है या नहीं?  या किसी वर्ग – विशेष के द्वारा साम्प्रदायिक माहौल तो नही बिगड़ रहे? इस पर अगर योगी जी सामंजस्य बिठाने में सफल रहे तो अगले लोकसभा चुनाव मैं NDA गठबंधन को बढत मिल सकता है।

भारी जनाआकक्षाओं के बोझ तले उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एकदम सही नही है। जैसे कि किसानों के कर्जमाफी को पूरा करने सरकार को काफी मसक्कत करने उड़े,बावजूद इसके अभी तक कितने किसानों को लाभ मिला कह नही सकते। 15जून तक देखें तो अभी मात्र 63% गडढे ही पाटे जा चुके है। जो नहीं पुरे हो पाए वो सरकार को मुँह चिढ़ा रहे हैं

लॉ एंड ऑर्डर के मसले पर यह सरकार सहारनपुर दंगा, को समय पर काबू नही कर पाई। मुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथको ऐसे मुद्दे पर काफी कुछ सीखना होगा। पिछले ३ महीनों में IASI के सर्वे के अनुसार यूपी में कुल ८९३ बलात्कार की घटनाओं के केस दर्ज हुए हैं|

सरकार असली परीक्षा होने वाले निकाय चुनावों में है,एकओर जहाँ अभी तक अति पिछड़े क्षेत्रों का रेपिड परिसीमन नही हुआ तो कुछ जगहों पर समस्याओं के त्वरित समाधान न् होने से व्यापक असन्तोष हो रहा है। योगी सरकार ने चुनाव से पूर्व छात्रों को लैपटॉप देने का वादा किया जोकि अब तक अमल में नही आ सका है,विपक्षी दल इसे ढकोसला बता रहे है।

सरकार बनते ही योगी जी को जातिवाद करने का आरोप लग रहा है।।।लोगो का कहना है कि इस सरकार में सिर्फ उच्च वर्गों के लोगो को प्रशासनिक पदों पर बिठा दिया गया और सबका साथ सबका विकास, का नारा सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करने के लिए।।यहाँ तक ब्राह्मण भी अपने को छल हुआ समझ रहे हैं।।।कुलमिलाकर देखा जाए तो सरकार को अपनी क्षवि दुरूस्त करने की जरूरत है।

अगर एक मुद्दे की बात करे तो उत्तर प्रदेश भारी जनसंख्या दबाव वाला राज्य होम की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, गरीबी, जातिवाद, सामाजिक संघर्ष, सम्प्रदायिक समस्याओ से जुझता रहा है यदि आगे सकारात्मक माहौल बनाकर सरकार चले तो राज्यके विकास की एक नई किरण साबित हो सकती है। बहरहाल योगी जी से बीजेपी ही नही विपक्ष को कुछ अच्छा होने की उम्मीद रखनी चाहिए, हाल ,फिलहाल तो ऐसा ही लग रहा कि यह सरकार पाँच साल बाद कई नई बातों के लिए जानी जाएगी|